पर्यटन स्थलों पर घूमने जाने वाले कई मानसिकता के लोग होते हैं। कुछ को मनोरंजन वाले स्थान अच्छे लगते हैं तो कुछ लोग नदी के तट को इसके लिए चुनते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पहाड़ों और वन क्षेत्रों से लगाव होता है, लेकिन बहुत से पर्यटक किसी धार्मिक स्थल पर जाना ही बेहतर समझते हैं। इसलिए आइए आज हम आपको बलिया के उस स्थल पर लेकर चलते हैं जहां से निकला हरिनाम संकीर्तन महांमंत्र अब देश के लगभग हिंदी भाषी क्षेत्रों में लगातार गूंज रहा है। राजनीतिक लोगों से लेकर सामान्य आदमी तक की इस स्थान से आंस्था असीमित है…सभी मानते हैं कि यहां पहुंच कर इंसान कुछ पल भी रुक जाता है तो उसके मन का शद्धिकरण हो जाता है और मन शांत हो जाता है। देश के भी सभी हिंदी भाषी क्षेत्रों में गूंज रहा इस आश्रम से निकला हरिनाम महामंत्र, स्वयं संत खपडि़या बाबा ने की थी 1953से इस परंपरा की शुरूआत। यूपी-बिहार के लोगों के लिए आंस्था का केंद्र है खपड़िया बाबा आश्रम।
बलिया डेस्क : जिले के अंतिम छोर पर बैरिया-लालगंज मार्ग से सटे द्वाबा में एक स्थान है संकीर्तन नगर श्रीपालपुर। यहां दिन हो रात कभी भी आप पहुंचेंगे तो हरिनाम संकीर्तन का धुन आपको सुनाई देगा। यहां स्थित खपड़िया बाबा का आश्रम पर इस महामंत्र का जप लंबे समय से चल रहा है। आश्रम के आसपास ही नहीं पूरे जिले के लोग इस स्थान पर अपने मन के शुद्धकरण के लिए पहुंचते हैं। यहीं पर उस महान संत स्वामी मुनिश्वरानंद जी महराज, उर्फ खपडि़या बाबा की समाधि भी है। इसी आश्रम से 1953 में एक महामंत्र निकला हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, जो आज उनके शिष्य स्वामी हरिहरानंद जी महराज के प्रयासों से देश के सभी हिंदी व भोजपूरी भाषी क्षेत्रों में गुंज रहा है। स्वंय स्वामी हरिहरानंद जी महराज बताते हैं कि इसकी शुरूआत 1953 में परम गरू स्वामी मुनिश्वरानंद जी महराज, खपडि़या बाबा ने ही इसी आश्रम से की थी। वर्ष 1986 के 23 जनवरी को उनके ब्रम्हालीन होने के बाद भी यह महामंत्र लगातार जगह-जगह चलता रहा है और आज देश के कोने-कोने में यह महामंत्र इसी आश्रम के बदौलत गूंज रहा है। आश्रम में यह व्यवस्था है कि महिलाएं दिन भर कीर्तन करती हैं और रात में कीर्तन का जिम्मा पुरूष वर्ग का होता है। द्वाबा के लगभग गांव पूरे साल के दिनों को अपने गांव के नाम से बुक करा चुके हैं। संबंधित गांवों के लोग अपनी तिथि पर पूरी टीम के साथ आश्रम में पहुंचते हैं 12 घंटे के अपनी कीर्तन की डयूटी पूरी करते हैं।
देश के वे प्रमुख स्थान जहां चल रहा आश्रम का कीर्तन
स्वामी हरिहरानंद जी महराज के प्रयासों से पाप नाशक महामंत्र हरिनाम संकीर्तन की पूरी लिस्ट बलिया टुडे ने जुटाई है। बलिया में संकीर्तन नगर, ठकूरी बाबा कर्ण छपरा, सुकरौली, रानीगंज, दवनी, दोकटी, छाता, रामनगर, सरेया, चितबड़ागांव, नगवा, सुखपूरा, अपायल, भइसहा, सवरू बांध। बिहार में बरौली, बबुआ नारायण पुर, बहरी महादेव पियरो, हरिहरधाम पियरो, खैरी तिवारी डिह भोजपूर,धरहरा, भदवर, लक्ष्मीपुर,बभनगांवा, हाजीपुर, बनेहरा। मैनपूरी में आश्रम संकीर्तन नगर, गोगादेव, परानपुर, चनारी, उषानिध, फतेहपूरा, सेनालला, नवलाधीर, नगलगवे, नगलकुंजल, नगला खगरे। वाराणसी क्षेत्र के देवरिया, रिजोर के गोपालपुर, एटा शहर, सेवरी, खुर्जा, चित्रबड़ा, बलुदशहर, सिमड़ा, बिछौला, शिकोहाबाद, चमकटी, टिकमपुर, महकुमपुर, रूटीया, नैनीताल के किकच्छा, बरौली, जयपुर में संतोषनगर, राजस्थान में मिल्साहा, सिरसू, फरूखाबाद में धुरिया, नौगांवा, जेनापुर, अमृतसर, आदि सहित देश के और भी सैकड़ों स्थान हैं जहां 15 माह के हरिनाम संकीर्तन पूर्ण होकर वहीं किसी अन्य स्थान पर आयोजित हैं। वहीं हजारों की संख्या में ऐसे भी घर हैं जहां हर दिन कुछ घंटे के हरिनाम संकीर्तन हर दिन आयोजित किए जाते हैं।
पूर्वाचल में काफी प्रसिद्ध है खपड़िया बाबा आश्रम
गंगा और घाघरा के बीच बसे द्वाबा में संत खपड़िया बाबा आश्रम पूर्वांचल क्षेत्र में बहुत ही प्रसिद्ध है। कहते है कि खपड़िया बाबा एक प्रसिद्ध संत थे, जो भिक्षा के लिए एक ‘खप्पर’ लेकर बहुत तेजी से चलते थे और जो भी उन्हें कुछ खिलाना चाहता है, वह उनका पीछा करता और उनके खप्पर में भिक्षा डालता था। उन्हें भीक्षा में जो भी मिलता था वही उनका भोजन था। उन्होंने कभी भी भिक्षा के लिए प्रतीक्षा नहीं किया। वह बहुत प्रसिद्ध योग ऋषि थे। उनकी मृत्यु के बाद यहां उनकी समाधि भक्तों द्वारा बनाई गई। अब वह समाधि स्थल एक भब्य मंदिर का रूप ले चुका है। आश्रम पर अब हवन, यज्ञ, सामूहिक विवाह आदि समाजिक और धार्मिक कार्य समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं। बड़ी संख्या में भक्तगण यहां खपड़िया बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर दिन पहुंचते हैं।
धार्मिक मंशा से यहां घूमने लायक और भी हैं स्थान
खपड़िया बाबा आश्रम में देखने और अध्ययन के योग्य बहुत कुछ है। समाधि स्थल के अलावा यहां उक्त महान संत के पूरे जीवन की मुख्य घटनाओं को मुर्ति के रुप में व्यक्त किया गया है। वहीं वर्ष भर कीर्तन के लिए भी अलग हॉल है जहां लोग मन की शांति के लिए घंटों बैठकर भजन-कीर्तन करते हैं। यहां के हवन कुंड की राख को भी लोग अपने घर ले जाकर रखते हैं। आश्रम के संत हरिहरानंद जी महराज के एक-एक संदेश को केवल द्वाबा ही नहीं जिले भर के लोग मन में उतारते हैं और उसका पालन भी करते हैं। इस आश्रम से अलग द्वाबा में महराज बाबा मंदिर, सुदृष्ट बाबा मंदिर, नरहरिबाबा मंदिर, सेवादास धाम आदि स्थानों की भी अलग-अलग विशेषताएं हैं।
हर साल हो रही सैकड़ों शादियां
खपड़िया बाबा आश्रम पर सामूहिक विवाह का आयोजन बैरिया के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के द्वारा प्रति वर्ष किया जा रहा है। इस आयोजन से इस आश्रम की विशेषता और बढ़ गई है। परिणय सूत्र बंधन में बधने वाले सभी जोड़े इस स्थान पर शादी करने के बाद अपने को धन्य मानते हैं। वजह कि 24 घंटे रामधुन के बीच उनकी शादियां संपन्न होती है। ऐसा आयोजन शायद ही कहीं अन्य स्थानों पर देखने को मिलते हों। यही कारण है कि यहां आम से लेकर खास लोग भी आश्रम के प्रति विशेष लगाव रखते हैं।
बहुत जल्द पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होगा आश्रम
बैरिया के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि खपड़िया बाबा आश्रम इस कलियुग में मुक्ति देने वाला स्थान है। स्थानीय स्तर पर इसका विकास लगातार हो रहा है। आश्रम को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए मैने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पत्र लिख कर इसके महत्व का उल्ल्ख करते हुए विशेष आग्रह किया है। उन्होंने इसके लिए मुझे आश्वस्त भी किया है कि बहुत जल्द इस आश्रम को और भी भब्यता दी जाएगी। आश्रम तक पहुंचने वाली सड़क सहित इस स्थल को पूर्ण रुप से धार्मिक क्षेत्र के रुप में विकसित किया जाएगा।