प्रभारी मंत्री अनिल राजभर के साथ मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल और बैरिया विधयक सुरेंद्र सिंह भी रहे साथ। ग्रामीणों ने बताया विभाग की कारगुजारी। सख्त दिखे प्रभारी मंत्री।
बलिया डेस्क : प्रभारी मंत्री अनिल राजभर व आनंद स्वरूप शुक्ल, बैरिया के विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ पूरे प्रशासनिक अमला को लेकर मंगलवार को गंगा और सरयू से प्रभावित इलाके का जायजा लिया। गंगा नदी के हुकुमछपरा घाट पर पहुंच मंत्री ने बैराज खंड के अधिकारियों से कार्य की प्रगति के बारे में पूछताछ करते हुए 15 दिन के अंदर काम समाप्त करने का निर्देश दिया। इस मौके पर प्रभारी मंत्री अनिल राजभर व राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह की प्रशंसा की। कहा कि बैरिया विधायक मुख्यमंत्री से लड़कर अपने क्षेत्र में काम लाते हैं। ऐसे में अगर कोई विभाग का अधिकारी लापरवाही बरतेगा तो उसके खिलाफ अवश्य कार्रवाई होगी।
एनएच-31 पर मंडराते खतर से काराया अवगत
इस दौरान ग्रामीणों ने गंगा कटान से एनएच पर बढ़ते खतरे से अवगत कराया। इस मामले को जिले के प्रभारी मंत्री ने गंभीरता से लिया। उन्होंने बाढ़ विभाग के एसडीओ कमलेश कुमार से पूछा कि ऐसे लापरवाह ठेकेदार के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई, जिस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस पर क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे लापरवाह ठेकेदारों के खिलाफ तत्काल लिखकर विभाग में कार्रवाई के लिए भेजे, उसकी एक कॉपी हमें भी प्राप्त कराएं।
बीएसटी बांध के टी-स्पर का भी देखा हाल
जेपी के गांव सिताबदियारा जाने वाले बीएसटी बांध के टी-स्पर का भी मंत्री ने निरीक्षण किया। 80 फीसद घाघरा कटान में कट चुके इस स्पर को ठीक करने के लिए उन्होंने बाढ़ विभाग के अधिकारियों को चेताया। कहा कि तीन दिनों के अंदर यह स्पर ठीक हो जाना चाहिए। किसी भी तरह से बीएसटी बांधपर खतरा नहीं पहुंचना चाहिए। इस मौके पर जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही, भाजपा जिलाध्यक्ष जय प्रकाश साहू, एएसपी संजय कुमार, एसडीएम बैरिया सुरेश कुमार पाल, भायुमो के जिला मंत्री आदित्य नारायण तिवारी, अश्वनी ओझा, पिछड़ा वर्ग के मंडल के अध्यक्ष रिंकू गुप्ता उर्फ भगवान जी, अवनींद्र कुमार ओझा व शिवानंद दुबे इत्यादि मौजूद रहे।
दमदार था ग्रामीणों का यह सवाल
बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों का यह सवाल काफी दमदार था कि बाढ़ विभाग के अधिकारियों या ठेकेदारों के संबंध में शिकायत के बाद भी कोई कार के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। वे हर साल गलत तरीके से कार्य करा कर सरकारी धनका बंदरबांट कर लेते हैं। इस बात की जानकरी होने के बाद भी जनप्रतिनिधि दोषियों पर कार्रवाई की संस्तुति क्यों नहीं करते। क्या यह ठेकेदार प्रभावशाली हैं या विभाग मेहरबान है। यह जब चाहें काम शुरु करा दे और जब चाहे बंद कर दें। जब इस पर कोई ध्यान नहीं है तो इस निरीक्षण का क्या मतलब है।